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शायरी

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शायरी  --------------------------------------------------- जब से तुम गिरगिट की तरह रंग बदल गई,  जिंदगी काँच की तरह टूट कर बिखर गई। खुशियाँ मेरी छीन कर तुम किधर ले गई? झूठे ख़्वाब दिखा कर क्यों अदृश्य हो गई? --------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

मुक्तक

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मुक्तक  ----------------------------------- नयनों मे बसी तेरी तस्वीर,  कभी धूमिल नहीं  होती। रोज धूल जमने से पहले, अश्रु से आँख धुल देती। ---------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

शायरी

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शायरी  ----------------------------------------------- आज भी हम उन्हें याद करते हैं,  रब से उनकी ही फरियाद करते हैं।  ख्व़ाब में उनसे ही संवाद करते हैं,  हम मुहब्बत उनसे बेहिसाब करते हैं। ---------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

शायरी

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शायरी  ------------------------------------------------------------ तेरी यादें आती रहेगी प्रतिपल लहर बनकर, मुझे सताती रहेंगी सदा कहर बनकर। तुम क्यों आयी मेरी जिंदगी में जहर बनकर? क्या पतझड़ में फिर आओगी तुम बसंत बनकर? ----------------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

शायरी

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शायरी  ---------------------------------------------------- तेरी यादें मुझे पल-पल सताती हैं,  दिल रोता है ऑंखें डब-डबाती हैं। तेरे बिछड़ने के डर से रूह घबराती है, गिरते अश्कों से तेरी तस्वीर बन जाती है। ---------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

शायरी

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शायरी  ------------------------------------- इतनी शिद्दत से चाहते थे तुझे,  फिर भी ना मिले तुम मुझे। विरह की अग्नि कैसे बुझे? कोई आकर बता दे मुझे। ------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

शायरी

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शायरी  ----------------------------------------------------- ऐ ख़ुदा कर दे ऐसी करामात,  अकस्मात हो जाएं उनसे मुलाक़ात।  मैं उनसे करूँ जी भरके सवालात, दर्द में निकले आँसुओं की उसे दे दूँ सौगात। ---------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल