प्यासा कौवा
प्यासा कौआ -------------------------------- एक कौए को लगी थी प्यास, पानी था ना उसके पास। उसने खोजा इधर-उधर, गया गांव से वो शहर। पर जल ना मिला उसे मगर, थक कर बैठ गया डाली पर। सहसा उसकी पड़ी नजर, घड़ा रखा था एक छत पर। झटपट पहुंचा वो उड़कर, बैठ गया वह घट के ऊपर। जल पीने को था वह अधीर, पर उसमें था थोड़ा सा नीर। फिर कौवे ने बुद्धि लगाई, एक सूझ उसके मन आई। झटपट लाया कुछ पत्थर, डाले उसने एक-एक कर। ज्यों-ज्यों पत्थर गिरता अंदर, जल चढ़ आता फिर निरंतर। ठंडा-ठंडा जल पीकर, उड़ गया कौवा कांव-कांव कर। ----------------------------- मनोज कुमार अनमोल रतापुर, रायबरेली उत्तर प्रदेश