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Showing posts from April, 2023

कमल

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कमल  ---------------------------------------- देखो राष्ट्रीय पुष्प कमल, सुंदर, कोमल इसके दल। पोखर है इसका आवास, इस पर लक्ष्मी जी का वास। भानु रश्मियां जब हैं पड़ती, कोमल पंखुड़ियां तब हैं खुलती। पवित्र, पुष्पराज है ये सुमन, जो मोहित करता सबका मन। ---------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

चिन्टू और मैडम

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चिन्टू और मैडम ---------------------------------------------------------- चिन्टू बोला मैडम से मुझको जीव विज्ञान पढ़ाओ, खाद्य श्रृंखला के बारे में मुझको तुम समझाओ। मैडम बोली चूहे का दुश्मन है साँप, जिसको खाकर करता है वो साफ। फिर मयूर, सर्प का करें शिकार, और बनाता है उसको आहार। चूहा है प्रथम उपभोक्ता, सर्प है द्वितीय, द्वितीय को जो खा जाए, वो है उपभोक्ता तृतीय। चिन्टू बेटा यही है खाद्य श्रृंखला का सार, एक जीव दूसरे जीव को खाते हैं जो मार। चिन्टू बोला मैडम जी ये बात मुझे नहीं पचती,  आपकी खाद्य श्रृंखला एक जगह नहीं जँचती। शिवजी के परिवार में ये तीनों जीव तो रहते हैं, फिर ये एक दूसरे को क्यों नहीं चट करते हैं? --------------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

पापा ला दो एक गुड़िया

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पापा ला दो एक गुड़िया ---------------------------------------- एक दिन बोली नन्हीं बिटिया, पापा ला दो एक गुड़िया। सुन्दर-सुन्दर, बढ़िया-बढ़िया, जो पहने हो लाल चुनरिया। माथे पर हो जिसके बिंदिया, कजरारी हो जिसकी अँखिया। लम्बी हो बालों की चुटिया, जिसे देख ललचाएं सखियाँ। पापा बोले सुनो दुलारी बिटिया, ऐसे चहकती तुम जैसे चिड़िया। अब तू बन्द कर प्यारी बतियाँ, चल तेरी पसंद की ले दूँ गुड़िया। ---------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल रतापुर, रायबरेली उत्तर प्रदेश

आम

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आम --------------------------------------- फलों का राजा मैं हूँ आम, अंग्रेजी में है मैंगो नाम।  मुझे खरीदो देकर दाम,  मुझको खाओ सुबह और शाम। खाकर करो तुम सब आराम, लकड़ी आए फर्नीचर के काम। बैठो तुम छाया में अगर लगे घाम,  मेरे वृक्ष लगाओ तुम अविराम। ---------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

बिटिया रानी

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बिटिया रानी ----------------------------------------- नन्हीं प्यारी बिटिया रानी, दिनभर करती है शैतानी। जिद करती है सुनाओ कहानी, खेला करती दिनभर पानी। आँगन में जब चिड़िया आती, दौड़-दौड़ कर उन्हें उड़ाती। आईने के जब सामने आती, मुँह बनाकर खुद को चिढ़ाती। चिप्स, कुरकुरे दिन-भर खाती, टॉफी, चॉकलेट है इसको भाती। दूध गिलास को नहीं हाथ लगाती, जब डाँटो तो भू पर लोट जाती। ------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

सुमन

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सुमन ------------------------------------------ रंग-बिरंगे कितने सारे, सुंदर-सुंदर प्यारे-प्यारे। उपवन में हैं खिले सुमन, जो हरते हर जन का मन। निर्मल, मृदुल जिनकी पंखुड़ियाँ, जिन पर मँडराती हैं तितलियाँ। पवन बहे जब मंद-मंद, तक बहती है इनकी सुगंध। आकर्षित होकर आते भौंरे काले, पराग पान करके हो जाते मतवाले। फिर करते ये फूलों का गुणगान, गुंजन सुर की मधुर छेड़ते तान। ये प्रकृति सुंदरी के हैं श्रृंगार, प्रभु जी ने दिए हमें उपहार। ------------------------------------------ मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

दीपावली

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दीपावली ----------------------------------- आओ मिलकर दीप जलाएं, हम सब दीपावली मनाएं। ईर्ष्या, द्वेष का मैल छुड़ाएं, मन-मंदिर को स्वच्छ बनाएं। सत्य, अहिंसा हिय में बसाएं, प्रेम की फुलझड़ियां जलाएं। आओ मिलकर दीप जलाएं, हम सब दीपावली मनाएं। भेदभाव को जड़ से मिटाएं,  समरसता हर जन में लाएं। अंधकार को दूर भगाएं, हर घर में उजियारा लाएं। आओ मिलकर दीप जलाएं, हम सब दीपावली मनाएं। ----------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

प्यारा भारत देश हमारा

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प्यारा भारत देश हमारा -------------------------------------------- सबसे सुंदर सबसे न्यारा, प्यारा भारत देश हमारा। दिक् उत्तर में तुंग हिमालय, अरि से रक्षा करता है। फौलादी अपना सीना ताने, प्रतिपल वारों को सहता है। दक्षिण में हिंद महासागर, लहरा-लहरा कर बहता है। आसमान में नीरद बनकर, भू पर वर्षा करता है। यह राम, बुद्ध, नानक की धरती, जहाँ गंगा, यमुना कल-कल बहती। विभिन्न तरह की यहाँ फसले उगती, जो जन-जन के उदरों को भरती। प्रेम, उदारता, दया भावना, यहाँ लोगों के दिल में बसती। ईर्ष्या, द्वेष, झूठ, कपट से, सदा आत्मा जिनकी डरती। यहाँ भिन्न-भिन्न है भाषा बोली, भिन्न-भिन्न है जाति धर्म। इसके वासी भोले-भाले, जो करते हैं सत्कर्म। आओ देश का हम मान बढ़ाएँ, विश्व में इसको उच्च उठाएँ। प्रेम से इसको शीश झुकाएँ, एक साथ सब मिलकर गाएँ। सबसे सुंदर सबसे न्यारा, प्यारा भारत देश हमारा। -------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

धरती की पुकार

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धरती की पुकार ---------------------------------------- सूखी धरती करे करुण पुकार,  कर दो मुझ पर ये उपकार। वृक्ष धरा के हैं आधार, ये सब हैं मेरे श्रृंगार । तरुओं पर ना करो प्रहार, ये देते फल, लकड़ी और बयार। फिर भी तुम इन पर करते हो वार, क्या यही तुम्हारे हैं संस्कार? हे मनुष्य हो जाओ उदार, बदलो तुम अपने आचार-विचार। बचा लो मेरा होने से संहार, वृक्ष लगाओ प्रतिदिन हजार। जिससे मिले मुझे खुशियाँ अपार, हरा भरा हो जाए मेरा घर संसार। ---------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

गुब्बारे

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गुब्बारे ------------------------------- गुब्बारों का लेकर गुच्छा, देखो आए रामू चच्चा। गैस भरे हैं ये गुब्बारे, बच्चों को लगते हैं प्यारे। लाल, हरा, पीला, नीला, कोई दिखता है चमकीला। पांच रुपए लेकर आओ, मन चाहे जो लेकर जाओ। डोर बांध कर इन्हें उड़ाओ, आसमान की सैर कराओ। ----------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

होली है

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होली है ------------------------------- रंग और लेकर पिचकारी, होली खेलन आई दुलारी। अपनी सखियों के घर जाती, लाल, हरा फिर रंग लगाती। सिर के ऊपर गुलाल उड़ाती, गुझिया, पापड़ चाव से खाती। मिलजुल कर फिर पर्व मनाती, घर बाहर फिर धूम मचाती। रंग भरकर पिचकारी चलाती, बुरा न मानो होली है वो चिल्लाती। ----------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

प्रार्थना

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प्रार्थना ------------------------------------- प्रभु जी दे दो यह वरदान, पढ़ लिख कर हम बने महान। हम अबोध बालक नादान, करें आपका प्रतिदिन ध्यान, हाथ जोड़ करते गुणगान, प्रभु जी दे दो यह वरदान, पढ़ लिख कर हम बने महान। तेज, बुद्धि और दे दो ज्ञान, निर्बल से कर दो बलवान, सब धर्मों का करें सम्मान, प्रभु जी दे दो यह वरदान, पढ़ लिख कर हम बने महान। सुन लो विनती हे भगवान, हम सबका तुम करो कल्याण, होंठो पर सदा रहे मुस्कान, प्रभु जी दे दो यह वरदान, पढ़ लिख कर हम बने महान। ------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

कोयल

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कोयल ----------------------------------- कुहू-कुहू के सुर में गाती, कोयल मीठे गीत सुनाती। आमों की बगिया में आती, मीठे-मीठे ये फल खाती। दीदी मेरी जब इसे चिढ़ाती, तब पत्तों में छिप जाती। अपना घर ये नहीं बनाती, काग नीड़ में अण्डे छुपाती। ऋतु बसन्त है इसको भाती, बसन्तदूत कोकिल कहलाती। ------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

कुँअर कन्हैया

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कुँअर कन्हैया -----------------------------------  रूठ गया है कुँअर कन्हैया, माखन मिसरी न खाए भइया। उसे मनाए यशोमती मइया, जिद करता है चराऊँगा गइया। बलदाऊ के संग जाऊँगा मइया, यमुना तीरे कदंब की छइया। मुरली अपनी बजाऊँगा मइया, ग्वालों के संग नाचूँगा, ता-ता थैया। यह सुनकर फिर बोली मइया, प्रात होत चले जाना कन्हैया। ------------------------------------ मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली         उत्तर प्रदेश

गाय

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गाय  ---------------------------------- भोली-भाली मेरी गइया,  जिसको दुहती मेरी मइया।  हरी घास, भूसा है खाती,  खेतों में भी चरने जाती है।  संध्या को फिर वापस आती,  मीठा-मीठा दूध पिलाती।  गोबर आता खाद के काम,  गौ माता है इसका नाम। ----------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

मोर

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मोर ------------------------------------ मैं हूँ राष्ट्रीय पक्षी मोर,  मेघ देखकर करता शोर।  गर्दन लंबी, रंग है नीला,  दिखता हूं मैं बड़ा चमकीला।  सुंदर पंख बड़े-बड़े,  नागराज भी मुझसे डरे।  मैं शिव सुत का हूँ वाहन,  मोर मुकुट मोहन करते धारण। --------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

हाथी

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हाथी --------------------------------- सूँड़ हिलाता आता हाथी, गंगू महावत उसका साथी। भारी-भरकम उसका गात, मुख से निकले हैं दो दाँत। कान है उसके बड़े-बड़े, डरकर बच्चे रहे खड़े। छोटी पूँछ हिलाता है, पत्तियाँ गन्ने खाता है। --------------------------------- मनोज कुमार अनमोल  रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

उठो कवि

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उठो कवि --------------------------------------------------- अपराह्न का वक्त था,  आसमान स्वच्छ था। मैं छत पर खड़ा था, फर्श पर पर कागज पेन पड़ा था। मन में कवि सम्मेलन का ख्याल था,  अच्छी कविता लिखने का अरमान था।  श्रेष्ठ ऊँचे शब्द चाहता था,  पर कुछ याद नहीं आता था।  मैंने सोचा लोग कैसे बनते हैं कवि?  और कविता में उतारते हैं प्रकति की छवि।  यह सोचते-सोचते मैं गहरी निंद्रा में सो गया,  हवा के तीव्र झोंकों से कागज पेन उड़ गया।  जब मैं जागा तो निकल चुका था रवि,  मम्मी ने मुझे जगाते हुए कहा उठो कवि। ---------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल   रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

बरसे पानी

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बरसे पानी --------------------------------------------------- रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी, छोटे बच्चों को हैरानी। आता है कहाँ से पानी? जरा बताओ मुझको नानी।   नानी लगी उन्हें बतलाने,  चित्र बनाकर उन्हें समझाने। सूरज की किरणें जब धरती पर हैं आती,  पानी को भाप बनाकर, ऊपर को उड़ जाती।  वहीं भाप बादल बन जाती, बादल बनकर जल बरसाती। इतने में फिर बिजली कड़की,  बंद किये सबने कान और खिड़की। ---------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल   रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

नदियाँ

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नदियाँ  ------------------------------------ हिमगिरि से बनती है नदियाँ, चम-चम करती आती। निर्मल उज्ज्वल धारा बनकर, कल-कल बहती जाती। धरती के श्यामल अंचल पर, ये अपना प्यार लुटाती। सूखे खेतों में फसलें बनकर, जो फिर हैं लहराती। जन-जीवन है प्यास बुझाता, मीन तैरती जाती। सुमनों में फिर खुशबू बनकर, सुगंध समीर बहाती। आर्थिक दृष्टि से नदियाँ सबको, है संपन्न बनाती। इसीलिए ये माता कहकर, जग में पूजी जाती। --------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल   रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

भया उजियारा

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भया उजियारा  ------------------------------------ बीती रात भया उजियारा,  जग लगता है कितना प्यारा।  सुखद है कितना वातावरण,  मोती जैसे चमके हिमकण।  फैल रही सूरज की लाली,  झूम रही है तरु की डाली।  शीतल बहती मंद पवन,  सुगंधित नए खिले सुमन।  वृक्षों पर खग का कूजन,  फूलों पर भौंरों का गुंजन।  हर्षित है सब जग के प्राणी,  मइया बोली मीठी वाणी।  अब तो तुम बिस्तर को त्यागो,   लाल मेरे अब तो तुम जागो। --------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल   रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

मिट्ठू तोता

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मिट्ठू तोता ---------------------------------               मैं हूँ मिट्ठू तोता प्यारा, तरु कोटर है घर हमारा। रंग है मेरा हरा-हरा, देख आखेटक मैं हूँ डरा। मैं पक्षी हूँ शाकाहारी, खाता हूँ मैं फल तरकारी। चोंच है मेरी सुर्ख लाल, पिंजड़े में ना मुझको डाल। मैं उड़ना चाहूं मुक्त गगन, स्वच्छंद घूमूं बाग और वन। --------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल   रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

मच्छर

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मच्छर ---------------------------------               मच्छर ने मुझको काटा,  मैंने मच्छर को डांटा।  तुमने मुझको क्यों काटा?  खा लेते तुम आटा-भाटा।  अगर नहीं तुम होते इतने नाटा, तो मैं अपना उठाता पाटा।  चाहे हो जाता मेरा घाटा,  मारकर मैं तुझसे करता टाटा। --------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल   रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

मेरी माँ

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मेरी माँ  ---------------------------------- भोली-भाली कितनी अच्छी, कितनी सुंदर, कितनी सच्ची। ममता की मूरत, चंदा सी सूरत, दुनिया में सबसे खूबसूरत। एक हजारों में है मेरी माँ , जिनसे मिली मुझको आत्मा। नौ माह गर्भ में रखकर, तुमने मुझको जन्म दिया। तेरे आंचल में छिपकर, मैंने अमृत सा दूध पिया। हाथों के झूलों में मुझको झुलाया, उंगली पकड़कर चलना सिखाया। खुद दु:ख सहकर सुख पहुंचाया, बोलना लिखना तुम्हीं ने बताया। अनंत है इस माँ के उपकार, माँ बच्चों के जीवन का आधार। माँ में है वात्सल्य अपार, माँ से बना है यह संसार। हे माँ तुझको कोटि प्रणाम, हे माँ तुझको सतत प्रणाम। ----------------------------------  मनोज कुमार अनमोल     रतापुर रायबरेली         उत्तर प्रदेश

आह्वान गीत

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आह्वान गीत ------------------------------------------ 'रुधिर बहा देंगे, शीश कटा देंगे। भारत मां के दुश्मनों, तुम्हें जड़ से मिटा देंगे।।' मेरे देश के वीर सैनिकों,  लाज तुम्हीं को रखना है। दुश्मन की गोली का मुकाबला,  डट कर तुमको करना है। चाहे बहे रक्त की सरिता,  पीछे नहीं हटना है। चाहे आएं बाधाएं कितनी,  आगे बढ़ते रहना है। शत्रु को तू समझ मेमना,  केहरि समान झपटना है। मेरे देश के वीर सैनिकों,  लाज तुम्हीं को रखना है। दुश्मन की टोली को,  आगे बढ़ने से रोकना है। शत्रु के दांतो को,  तुमको खट्टा करना है। वीर सैनिकों प्रण कर लो,  मार के तुमको मरना है। तो इस रणभूमि में,  विजय तुम्हीं को मिलना है। मेरे देश के वीर सैनिकों,  लाज तुम्हीं को रखना है। -------------------------------------------  मनोज कुमार अनमोल रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

वृक्ष लगाओ

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वृक्ष लगाओ ------------------------------- वृक्ष लगाओ, फल खाओ, सब्जी, फूल आदि पाओ। वृक्ष हमारे आते कितने काम, गर्मी में हम करते विश्राम। वृक्ष हमें देते हैं लकड़ी, जिनसे बनते दरवाजा, खिड़की। वृक्ष हमें देते हैं शुद्ध वायु, और इन्हीं से बदलती जलवायु। जब हम होते कभी बीमार, जड़ी-बूटी से होता उपचार। वृक्ष प्रकृति की शान हैं, हम लोगों की जान हैं। वृक्षों पर ना चलाना फरसा, क्योंकि वृक्ष कराते हैं वर्षा। वृक्ष हमें क्या-क्या देते? बदले में हमसे क्या लेते? लोगों को यह बतलाना है, एक वृक्ष जरूर लगाना है। ------------------------------- मनोज कुमार अनमोल रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

चिन्टू की सोच

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चिन्टू की सोच   ------------------------------------------- चिन्टू बोला मम्मी से एक बात समझ नहीं आती, गणपति का वाहन है चूहा ये बात नहीं सुहाती। हाथी का बच्चा कितना भारी-भरकम होता है, उसका सिर भी कितना बड़ा सा होता है। नन्हा चूहा एकदम हल्का-फुल्का सा होता है, उसका वजन भी हाथी से बहुत न्यूनतम होता है। मम्मी मैं कैसे मानूं चूहा है उनका वाहन? जिस पर शान से बैठते होंगे गजानन। चूहे पर यदि वह बैठ गए तो चूहा मर जाएगा, चूहे द्वारा खाया गया कच्चा पक्का बाहर निकल आयेगा। मैं तो सोचता हूँ  शिवजी उनको दिला दे कार फरारी, जिस पर बैठकर वो प्रतिदिन फिर करे सवारी। ------------------------------------------ मनोज कुमार अनमोल रतापुर, रायबरेली  उत्तर प्रदेश

नशा

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नशा  ---------------------------- पान गुटका जो खाता है,  दांत खराब हो जाता है।  कैंसर हो जाता है,  तम्बाकूू जो चबाता है। खांसी-कफ आता है,  सिगरेट जो सुलगाता है।  हुक्का, शराब  जो पीता है,  वह मानव कम जीता है।  स्वास्थ्य बिगड़ जाता है,  आदमी कंकाल बन जाता है।  जो व्यक्ति नशा करता है,  वह अल्पायु में मरता है। ---------------------------- मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली         उत्तर प्रदेश

जागो प्यारे

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जागो प्यारे ------------------------------------------- जागो प्यारे अब मत सोओ, दूर भया अंधियारा। उठ कर बैठो आंखें खोलो, फैल गया उजियारा। पशु-पक्षी सब जाग गए, और जाग गया जग सारा।  अंधकार को दूर भगा कर, निकला सूरज प्यारा।  जागो प्यारे अब मत सोओ, दूर भया अंधियारा। तू दादा का प्यारा है, और दादी का दुलारा।  पापा का तू राजकुंअर है, और मां की आंखों का तारा।  देखो बेटा नवप्रभात का, मौसम है कितना न्यारा।  जागो प्यारे अब मत सोओ, दूर भया अंधियारा। ------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली         उत्तर प्रदेश

कल्लू मदारी

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कल्लू मदारी ----------------------------- कल्लू मदारी आया है,  कल्लू मदारी आया है।  बंदर और बंदरिया लेकर,  आज नचाने आया है।  कल्लू मदारी आया है,  कल्लू मदारी आया है।  कल्लू मदारी डमरू बजाए, जोर-जोर से वह चिल्लाए।  आओ प्यारे बच्चों आओ,  नाच देखकर मन बहलाओ।  डम-डम-डम-डम डमरू बाजे, उछल कूद कर बंदर नाचे। ------------------------------ मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली         उत्तर प्रदेश

रेल से सीख

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रेल से सीख ------------------------------------------- छुक-छुक करती आई रेल,  देखो ये डिब्बों का मेल।  ये जाति धर्म का भेद मिटाती, सबको एक साथ बैठाती।  हिंदू हो या मुसलमान,  इसके लिए सभी समान।  स्टेशन पर यह रूकती है,  और जन-जन से ये कहती है। जीवन के सफर में यदि आगे बढ़ना है,  तो मेरी तरह मिलजुल कर तुमको चलना है। ------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली          उत्तर प्रदेश

तितली रानी

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      तितली रानी -------------------------- रंग-बिरंगी कितनी प्यारी,  तितली देखो लगती न्यारी।  बाग-बगीचे में उड़ती है,  फूलों से यह रस पीती है।  तितली जब बगिया में आती, फूल-फूल पर ये मंडराती।  बच्चों को यह खूब भाती,  पर हाथ नहीं उनके आती।  ये चंचल पंख हिलाती है,  दूर-दूर उड़ जाती है। -------------------------- मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली          उत्तर प्रदेश

चींटी

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          चींटी -------------------------- मैं हूँ नन्हीं प्यारी चींटी,  मुझे पसंद है चीजें मीठी।  दिखती हूँ मैं एकदम छोटी,  चढ़ जाती पर्वत की चोटी। मिल जुल कर मैं रहती हूँ,  दिन भर मेहनत करती हूँ।  अरि से तनिक न डरती हूँ, डटकर मुकाबला करती हूँ। -------------------------- मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली          उत्तर प्रदेश

बिल्ली मौसी

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बिल्ली मौसी ------------------------------- बिल्ली मौसी जब आती,  कमरे में छिप जाती।  चुहियों को खूब सताती,  मौका पाकर चट कर जाती। रसोई में जब जाती,  दूध मलाई खा जाती।  मम्मी जब डंडा लाती,  बिल्ली मौसी भाग जाती।  ----------------------------------- मनोज कुमार अनमोल     रतापुर, रायबरेली          उत्तर प्रदेश