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Showing posts from February, 2022

बसन्त

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            बसंत  ******************** देखो बसंत की ऋतु आई,  जन-जीवन में खुशियां लाई,  तरुओं में नव कोपल आई, हरियाली धरती पर छाई,  देखो बसंत की ऋतु आई।  खेतों में सरसों फुलिआई,  तरु आम्र मंजरी है बौराई,  काली कोकिल है मुस्काई,  देखो बसंत की ऋतु आई। सुमनो ने बगिया महकाई,  रस पीने फिर तितली आई,  यौवन मन में गूंज उठी शहनाई, देखो बसंत की ऋतु आई। ***********************     मनोज कुमार अनमोल         रतापुर, रायबरेली            (उत्तर प्रदेश)

किसान

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         किसान *********************** ये धरती है मेरी माता,  खेती से है मेरा नाता। मैं भारत का भाग्य विधाता,  मैं हूं सबका अन्नदाता।  गांवों की मैं तो हूं शान,  मैं हूं भोला-भाला किसान।  मैं बहा पसीना अन्न उगाता,  मिट्टी से सोना उपजाता।  वर्षा, शीत, धूप मैं सहता,  कठिन परिश्रम मैं करता।  मेहनत से मैं नहीं घबराता,  सबके लिए अनाज उगाता।  सहज सरल है रहन-सहन,  कृषि में समर्पित है तन-मन।  ************************ मनोज कुमार अनमोल    रतापुर, रायबरेली      (उत्तर प्रदेश)