88/7 दे दो...
प्यारे दोस्तों यह एक गणितीय हास्य लघु कहानी है, जो कि मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गई है...... बात उन दिनों की है, जब गांव में टेंट हाउस नहीं हुआ करते थे। मेरी ननद सलोनी की शादी गांव में थी। शादी के एक दिन पहले मेरा सबसे छोटा देवर वैभव जो कि हाई स्कूल में पढ़ता है, काफी शरारती एवं होशियार है, उसको मेरे ससुर जी ने आस-पास के घरों से जरूरत का सामान जैसे- चद्दर, दरी, चारपाई, बर्तन इत्यादि सामान एकत्र करने के लिए कहा। वह जिसके घर में जाता और कहता- चद्दर दे दो, दरी दे दो, भगोना दे दो, और 88/7 दे दो। लोग उसके द्वारा मांगी गई सब सामान तो दे देते, लेकिन 88/7 उनकी समझ में नहीं आता कि ये क्या है? वे लोग उससे पूछते कि ये 88/7 क्या है? लेकिन वो मुस्कुरा देता और कहता बूझो तो जाने। कुछ पड़ोस की औरतों ने उसकी 88 /7 की मांग को घर आकर मुझसे बताया तो मैंने उसको बुलाकर पूछा कि वैभव ये तू सबके घर में 88/7 क्या मांग रहा है? तो उसने मुझसे कहा कि आप ही बता दें तो जाने..... तो मैंने उससे कहा... मैं क्या बताऊं यह कौन सी बला है? तब उसने मुझे बताया कि यह चारपाई अर्थात खटिया है। क्योंकि गणित में 4 पाई