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Showing posts from January, 2025

तुझसे मुहब्बत है बेहिसाब

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 तुझसे मुहब्बत है बेहिसाब ------------------------------------------------ तेरी झलक पाने को रहता हूँ बेताब, ए हुस्न की मलिका तू है लाज़वाब।  तेरी तारीफ़ में लिखूंगा एक किताब,  क्योकि मुझे तुझसे मुहब्बत है बेहिसाब। ------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

तेरा मुस्कुराता तन-वदन

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तेरा मुस्कुराता तन-वदन -------------------------------- तेरा मुस्कुराता तन-वदन, कजरारे से मृग-नयन। केशपाश लगते हैं घन, शंख सी है तेरी गर्दन। रूपसी हो तुम गुलबदन, बसी हो तुम मेरे अंतर्मन। -------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

तेरे नैनों की ये क़ातिल अदा

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तेरे नैनों की ये क़ातिल अदा ------------------------------------------- तेरे नैनों की ये क़ातिल अदा,  आशिकों पर बिजली गिराती सदा। यौवन से तन है तेरा लदा। लिखता हूं शायरी होकर फ़िदा। ------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

अप्सरा सी ख़ूबसूरत है तू?

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अप्सरा सी ख़ूबसूरत है तू? --------------------------------------------------- अप्सरा सी ख़ूबसूरत है तू? हक़ीक़त है या पत्थर की मूरत है तू। तराशा है ख़ुदा ने तुझे इत्मीनान से, भू को जन्नत बनाने उतारा है आसमान से। --------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

किससे करूं मैं दिल की बात?

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किससे करूं मैं दिल की बात?  -------------------------------------- किससे करूं मैं दिल की बात?  कौन समझेगा मेरे हालात? कब आएगा जीवन में प्रभात? कब बीतेगी यह सर्द रात? -------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल