तेरा मुस्कुराता तन-वदन
तेरा मुस्कुराता तन-वदन
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तेरा मुस्कुराता तन-वदन,
कजरारे से मृग-नयन।
केशपाश लगते हैं घन,
शंख सी है तेरी गर्दन।
रूपसी हो तुम गुलबदन,
बसी हो तुम मेरे अंतर्मन।
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मनोज कुमार अनमोल
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