तर्पण

    जब तक थे वो जिंदा,

दाने-दाने को मोहताज किया। 

 आज बुलाकर ब्राह्मण को,

  तुमने उनका श्राद्ध किया। 

 काक को भोजन अर्पण है, 

   यह कैसा तेरा तर्पण है?

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     मनोज कुमार 'अनमोल'


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