मेरी मैडम

       मेरी मैडम
-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-
मेरी मैडम कितनी अच्छी,
भोली-भाली मन की सच्ची।
मन लगाकर हमें पढ़ाती, 
सब विषयों का ज्ञान कराती। 
ज्ञान का दीपक हमें दिखाती, 
सही राह पर चलना सिखाती।
खेल-खेल में हमें पढ़ाती, 
इसीलिए हम सबको भाती। 
-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-
   मनोज कुमार अनमोल 
      रतापुर, रायबरेली 
         (उत्तर प्रदेश)

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

अकेले हम, अकेले तुम

हिन्दी पहेलियाँ

सरस्वती वंदना