महंगाई
महंगाई
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द्रौपदी की चीर जैसी, बढ़ रही महंगाई।
पेट्रोल-डीजल छू रहे, व्योम सी ऊंचाई।
मर रहा गरीब देखो, बिन रोटी व दवाई।
पढ़ा-लिखा घूम रहा, नौजवान भाई।
कब मिटेगी, अमीर-गरीब के बीच की खाई?
सोचो जरा इनका, समाधान क्या है भाई?
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मनोज कुमार 'अनमोल'
रतापुर, रायबरेली
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