मैं राह देखती खड़ी द्वार, प्रियतम आ जाओ एक बार..... सुन लो दिल की करुण पुकार, कब होगा तेरा दीदार। कब होंगी फिर आंखें चार, जरा बताना मुझको यार। मैं राह देखती खड़ी द्वार, प्रियतम आ जाओ एक बार..... अंखियां दुखती पंथ निहार, अश्रु निकलते बारम्बार। निशिि-वासर मैं करूं इंतजार, तन्हाई डालेगी मार। मैं राह देखती खड़ी द्वार, प्रियतम आ जाओ एक बार..... तुम बिन फीके सब त्योहार, रूखा लगता है आहार। तुम्हें बुलाए मेरा प्यार, पहना दे बांहों का हार। मैं राह देखती खड़ी द्वार, प्रियतम आ जाओ एक बार..... ****** मनोज कुमार 'अनमोल' रतापुर, रायबरेली उत्तर प्रदेश
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