गुब्बारे

गुब्बारे
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गुब्बारों का लेकर गुच्छा,
देखो आए रामू चच्चा।
गैस भरे हैं ये गुब्बारे,
बच्चों को लगते हैं प्यारे।
लाल, हरा, पीला, नीला,
कोई दिखता है चमकीला।
पांच रुपए लेकर आओ,
मन चाहे जो लेकर जाओ।
डोर बांध कर इन्हें उड़ाओ,
आसमान की सैर कराओ।
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मनोज कुमार अनमोल 
रतापुर, रायबरेली 
उत्तर प्रदेश

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