पानी भरने जाऊंगी

               पानी भरने जाऊंगी
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अम्मा के संग मैं तो, पानी भरने जाऊंगी। 
दादी चाहे जो कर ले, मैं आज नहीं मानूंगी। 
अम्मा की अंगुली पकड़ कर, धीरे-धीरे जाऊंगी। 
पोखर तक का रास्ता, मैं तो जान हीं जाऊंगी। 
अम्मा से मटकी लेकर, जल ऊपर तक भर दूंगी। 
और फिर धीरे-धीरे चल कर, घर तो पहुंच ही लूंगी। 
इसी तरह मैं रोज-रोज जब, अम्मा के संग जाऊंगी।
एक रोज मैं खुद मटकी लेकर, पोखर पर जाऊंगी। 
पूरी मटकी न सही तो, आधी तो भर लाऊंगी।
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           मनोज कुमार अनमोल 
              रतापुर, रायबरेली 
                  उत्तर प्रदेश

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