बसन्त
बसंत
********************
देखो बसंत की ऋतु आई,
जन-जीवन में खुशियां लाई,
तरुओं में नव कोपल आई,
हरियाली धरती पर छाई,
देखो बसंत की ऋतु आई।
खेतों में सरसों फुलिआई,
तरु आम्र मंजरी है बौराई,
काली कोकिल है मुस्काई,
देखो बसंत की ऋतु आई।
सुमनो ने बगिया महकाई,
रस पीने फिर तितली आई,
यौवन मन में गूंज उठी शहनाई,
देखो बसंत की ऋतु आई।
***********************
मनोज कुमार अनमोल
रतापुर, रायबरेली
(उत्तर प्रदेश)
Comments
Post a Comment