किसान

         किसान
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ये धरती है मेरी माता, 
खेती से है मेरा नाता।
मैं भारत का भाग्य विधाता, 
मैं हूं सबका अन्नदाता। 
गांवों की मैं तो हूं शान, 
मैं हूं भोला-भाला किसान। 
मैं बहा पसीना अन्न उगाता, 
मिट्टी से सोना उपजाता। 
वर्षा, शीत, धूप मैं सहता, 
कठिन परिश्रम मैं करता। 
मेहनत से मैं नहीं घबराता, 
सबके लिए अनाज उगाता। 
सहज सरल है रहन-सहन, 
कृषि में समर्पित है तन-मन। 
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मनोज कुमार अनमोल 
  रतापुर, रायबरेली 
    (उत्तर प्रदेश)

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