होली है
होली है
-------------------------------
रंग और लेकर पिचकारी,
होली खेलन आई दुलारी।
अपनी सखियों के घर जाती,
लाल, हरा फिर रंग लगाती।
सिर के ऊपर गुलाल उड़ाती,
गुझिया, पापड़ चाव से खाती।
मिलजुल कर फिर पर्व मनाती,
घर बाहर फिर धूम मचाती।
रंग भरकर पिचकारी चलाती,
बुरा न मानो होली है वो चिल्लाती।
-----------------------------------
मनोज कुमार अनमोल
रतापुर, रायबरेली
उत्तर प्रदेश
Comments
Post a Comment