पापा ला दो एक गुड़िया

पापा ला दो एक गुड़िया
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एक दिन बोली नन्हीं बिटिया,
पापा ला दो एक गुड़िया।
सुन्दर-सुन्दर, बढ़िया-बढ़िया,
जो पहने हो लाल चुनरिया।
माथे पर हो जिसके बिंदिया,
कजरारी हो जिसकी अँखिया।
लम्बी हो बालों की चुटिया,
जिसे देख ललचाएं सखियाँ।
पापा बोले सुनो दुलारी बिटिया,
ऐसे चहकती तुम जैसे चिड़िया।
अब तू बन्द कर प्यारी बतियाँ,
चल तेरी पसंद की ले दूँ गुड़िया।
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मनोज कुमार अनमोल
रतापुर, रायबरेली
उत्तर प्रदेश


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