रेल से सीख
रेल से सीख
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छुक-छुक करती आई रेल,
देखो ये डिब्बों का मेल।
ये जाति धर्म का भेद मिटाती,
सबको एक साथ बैठाती।
हिंदू हो या मुसलमान,
इसके लिए सभी समान।
स्टेशन पर यह रूकती है,
और जन-जन से ये कहती है।
जीवन के सफर में यदि आगे बढ़ना है,
तो मेरी तरह मिलजुल कर तुमको चलना है।
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मनोज कुमार अनमोल
रतापुर, रायबरेली
उत्तर प्रदेश
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