भया उजियारा


भया उजियारा 
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बीती रात भया उजियारा, 
जग लगता है कितना प्यारा। 
सुखद है कितना वातावरण, 
मोती जैसे चमके हिमकण। 
फैल रही सूरज की लाली, 
झूम रही है तरु की डाली। 
शीतल बहती मंद पवन, 
सुगंधित नए खिले सुमन। 
वृक्षों पर खग का कूजन, 
फूलों पर भौंरों का गुंजन। 
हर्षित है सब जग के प्राणी, 
मइया बोली मीठी वाणी। 
अब तो तुम बिस्तर को त्यागो,  
लाल मेरे अब तो तुम जागो।
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मनोज कुमार अनमोल  
रतापुर, रायबरेली 
उत्तर प्रदेश

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