मेरी माँ
मेरी माँ
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भोली-भाली कितनी अच्छी,
कितनी सुंदर, कितनी सच्ची।
ममता की मूरत, चंदा सी सूरत,
दुनिया में सबसे खूबसूरत।
एक हजारों में है मेरी माँ ,
जिनसे मिली मुझको आत्मा।
नौ माह गर्भ में रखकर,
तुमने मुझको जन्म दिया।
तेरे आंचल में छिपकर,
मैंने अमृत सा दूध पिया।
हाथों के झूलों में मुझको झुलाया,
उंगली पकड़कर चलना सिखाया।
खुद दु:ख सहकर सुख पहुंचाया,
बोलना लिखना तुम्हीं ने बताया।
अनंत है इस माँ के उपकार,
माँ बच्चों के जीवन का आधार।
माँ में है वात्सल्य अपार,
माँ से बना है यह संसार।
हे माँ तुझको कोटि प्रणाम,
हे माँ तुझको सतत प्रणाम।
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मनोज कुमार अनमोल
रतापुर रायबरेली
उत्तर प्रदेश
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