शायरी

शायरी - 1
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ऐ मेरे चाँद... !  तू ही बता,
कौन सी हो गई... मुझसे ख़ता?
वह किस लिए, मुझसे अनजान हो गए,
रोज मिलने वाले, क्यों ईद का चाँद हो गए?
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शायरी - 2
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कभी-कभी वह मेरी कब्र पर आ जाती है,
पहले प्यार में दिए गए फूलों का कर्ज चुका जाती है।
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                         मनोज कुमार अनमोल 

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