ROSE DAY

        ROSE DAY
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मेरे ख्वाबों के बगीचे में वह रोज़... 
ROSE लिए आती है, 
मुझे चैन की नींद सोता देखकर...
वह रोज़ मुस्कुराती है, 
ROSE मेरे सिरहाने रखकर...
ओस की भांति विलुप्त हो जाती है।
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     मनोज कुमार अनमोल

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