इश्क न करना
इश्क न करना
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दिल का दर्द उसने मुझे जो दिया,
होठों से न कर सकता हूँ मैं बयाँ।
मैं तड़पता रहा याद करके उसे,
काट दी हमने अपने हाथों की नसे।
फिर भी नहीं वो मेरे पास आई,
कूद गया मैं पहाड़ी से खाई।
सुना है उसने कर ली सगाई,
कब्र पर रो-रोकर बताती है माई।
इश्क मत करना ओ मेरे भाई,
तुम्हे तुम्हारे रब की है दुहाई।
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मनोज कुमार अनमोल
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