शायरी

शायरी 
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तेरी यादें आती रहेगी प्रतिपल लहर बनकर,
मुझे सताती रहेंगी सदा कहर बनकर।
तुम क्यों आयी मेरी जिंदगी में जहर बनकर?
क्या पतझड़ में फिर आओगी तुम बसंत बनकर?
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मनोज कुमार अनमोल 

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