मुक्तक

मुक्तक 
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नयनों मे बसी तेरी तस्वीर, 
कभी धूमिल नहीं  होती।
रोज धूल जमने से पहले,
अश्रु से आँख धुल देती।
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मनोज कुमार अनमोल 

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