शायरी

शायरी 
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रात-दिन वह मेरी ज़ुबान पर है, 
दिल मेरा उसी के लिए गतिमान है।
मेरे बसते उसी में प्रान है,
पर मेरी मुहब्बत मुझसे अनजान है।
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मनोज कुमार अनमोल 

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