अकेले हम, अकेले तुम -×-×-×-×-×-×-×-×-×-×- अकेले हम, अकेले तुम, जहां ना कोई हो सनम। तुम मेरे पास आ जाओ, मुझसे इतना ना घबराओ, मैं तुमसे प्यार करता हूं, हर घड़ी याद करता हूं, ना होगा प्यार मेरा कम, अकेले हम, अकेले तुम, जहां ना कोई हो सनम। तुम मेरी बांहों में आ जाओ, मुझसे इतना ना शरमाओ, तुम मेरी जान हो दिलबर, ये दिल कुर्बान है तुझ पर, मैं चाहूंगा तुम्हें हरदम, अकेले हम, अकेले तुम, जहां ना कोई हो सनम। -×-×-×-×-×-×-×-×-×-×- मनोज कुमार 'अनमोल' रतापुर, रायबरेली (उ0 प्र0)
हिन्दी पहेलियाँ ----------------------------------------------------------------- पहेली - 1 ------------------------------ कौन कवि थे ऐसे नागर? जो भरते गागर में सागर। रचना थी जिनकी सतसई, जयसिंह के थे राजकवि। ------------------------------ उत्तर - बिहारीलाल पहेली - 2 ---------------------------------- कौन कृष्ण को प्रियतम मान, पद बनाकर करती गान? राणा से होकर परेशान, द्वारका को किया प्रस्थान। ---------------------------------- उत्तर - मीराबाई पहेली - 3 --------------------‐------------------------ कौन कवि थे निर्गुण संत? मगहर में हुआ जिनका अंत। विरोधी थे पाखण्डों के जीवन पर्यंत, बोलो नाम उनका तुरंत। ‐-------------------------------------------- उत्तर - कबीरदास पहेली - 4 ‐--------------------------------- एक कवि था एक नयना, अवधी में करता रचना। निर्गुण प्रेम की करें साधना, बूझो नाम करूँ सराहना। ----------------------------------- उत्तर - मलिक मुहम्मद जायसी पहेली - 5 ‐------------------
हे मां सरस्वती, वर दो, वर दो, तम से भरे पथ को मेरे, आलोकित कर दो। चित्त कलुषता दूर करो, मेधा में प्रवीण करो, जो टूट रहे हैं स्वर मेरे, उनमें नव गति भर दो। हे मां सरस्वती, वर दो, वर दो, तम से भरे पथ को मेरे, आलोकित कर दो। दुर्गुण पापों को दूर करो, जो लक्ष्य चुने वह पूर्ण करो, प्रगति मार्ग पर बढ़ता जाऊं, उत्साह हृदय में भर दो। हे मां सरस्वती, वर दो, वर दो, तम से भरे पथ को मेरे, आलोकित कर दो। दंभ, लोलुपता दूर करो, पथ कांटों को फूल करो, सो रहे भाग्य को मैया मेरे, तुम जागृत कर दो। हे मां सरस्वती, वर दो, वर दो, तम से भरे पथ को मेरे, आलोकित कर दो। ********* मनोज कुमार 'अनमोल' रतापुर, रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
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