तू बड़ी है ख़ुशमिज़ाज (कविता)

तू बड़ी है ख़ुशमिज़ाज
-------------------------------------
तू बड़ी है ख़ुशमिज़ाज, 
सबका करती तू लिहाज़।
ना होती किसी से तू नाराज़,
मधुर निकलते हैं अल्फ़ाज़,
घर का करती कामकाज।
तुझसे ख़ुश है घर-समाज।
------------------------------------
मनोज कुमार अनमोल 

Comments

Popular posts from this blog

अकेले हम, अकेले तुम

हिन्दी पहेलियाँ

सरस्वती वंदना