तू बड़ी है ख़ुशमिज़ाज (कविता)

तू बड़ी है ख़ुशमिज़ाज
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तू बड़ी है ख़ुशमिज़ाज, 
सबका करती तू लिहाज़।
ना होती किसी से तू नाराज़,
मधुर निकलते हैं अल्फ़ाज़,
घर का करती कामकाज।
तुझसे ख़ुश है घर-समाज।
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मनोज कुमार अनमोल 

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