तेरे सुर्ख़ होठों की मुस्कान

तेरे सुर्ख़ होठों की मुस्कान
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तेरे सुर्ख़ होठों की मुस्कान,
खींच लेती हर किसी का ध्यान।
कोकिल सी मधुर तेरी ज़बान,
सुनकर तृप्त होते हैं कान।
हुस्न का नहीं तुझे गुमान,
तू सदा रहे आयुष्मान।
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मनोज कुमार अनमोल 


 

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