जहाँ चाह है वहाँ राह है

जहाँ चाह है, वहाँ राह है
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जहाँ चाह है, वहाँ राह है, 
इश्क़ तुमसे बेपनाह है।
कण-कण में अल्लाह है,
तू ही मेरी हमराह है।
मोहब्बत नहीं गुनाह है,
मैं धूप तू छाँह है।
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मनोज कुमार अनमोल 

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