लिखी थी एक ग़ज़ल

 लिखी थी एक ग़ज़ल
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तेरी चाहत में लिखी थी एक ग़ज़ल,
पर तूने मेरे इश्क़ का कर दिया क़तल।
क़िस्मत में किया जब रब ने फेरबदल,
तो प्यार मेरा कैसे होता मुक़म्मल?
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मनोज कुमार अनमोल 

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