जब खुलेगी तुम्हारे जीवन की किताब
जब खुलेगी तुम्हारे जीवन की किताब
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रब के दर पर जब पहुंचोगे जनाब,
अपने कर्मों का देना होगा हिसाब।
तुम्हारा चेहरा हो जाएगा बेनक़ाब,
जब खुलेगी तुम्हारे जीवन की किताब।
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मनोज कुमार अनमोल
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