कैसी लिखी ख़ुदा ने मेरी तक़दीर?

कैसी लिखी ख़ुदा ने मेरी तक़दीर?
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कैसी लिखी ख़ुदा ने मेरी तक़दीर?
रात-दिन नैनो से बहता है नीर।
ज़ख्मी दिल से उठती है पीर,
आत्मा भी छोड़ना चाहती है शरीर।
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मनोज कुमार अनमोल 

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