आज फिर वो आई नज़र

आज फिर वो आई नज़र 
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आज फिर वो आई नज़र,
जा रही थी अपने घर। 
भेंट हुई उससे डगर,
काँपने लगे उसके अधर।
अश्रु गिरे झर-झर-झर,
मुख से निकला ना एक स्वर।
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मनोज कुमार अनमोल 

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