जब चाँद ने किया मेरे चाँद का दीदार
जब चाँद ने किया मेरे चाँद का दीदार
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जब चाँद ने किया मेरे चाँद का दीदार,
सोचा इसके चेहरे की चमक है मुझसे अपार।
क्यों ना मैं इसको लूँ जी भर कर निहार।
अपने किरण रूपी हाथों से कर लूँ प्यार।
मैंने कहा क्यों रुक गए ओ बरख़ुरदार,
आगे बढ़ो बहुत सी सुहागिने है निर्जलाहार।
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मनोज कुमार अनमोल
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