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दुआ है आप सदा मुस्कुराती रहो

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दुआ है आप सदा मुस्कुराती रहो ------------------------------------------ दुआ है आप सदा मुस्कुराती रहो, खुशियों के दीपक जलाती रहो। मिलजुल कर पर्व मनाती रहो, जग में यूं ही जगमगाती रहो। ----------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

ख़ुदा ने नवाज़ा है तुम्हें हुस्न और नज़ाकत से

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ख़ुदा ने नवाज़ा है तुम्हें हुस्न और नज़ाकत से -------------------------------------------------------- ख़ुदा ने नवाज़ा है तुम्हें हुस्न और नज़ाकत से, वहीं दूर रखेगा तुम्हें हर आफ़त से। रब सदा रखें तुम्हें हिफाज़त से, उस ख़ुदा को ख़ुश रखो तुम अपनी इबादत से। -------------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

जब चाँद ने किया मेरे चाँद का दीदार

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जब चाँद ने किया मेरे चाँद का दीदार ---------------------------------------------------- जब चाँद ने किया मेरे चाँद का दीदार, सोचा इसके चेहरे की चमक है मुझसे अपार। क्यों ना मैं इसको लूँ जी भर कर निहार। अपने किरण रूपी हाथों से कर लूँ प्यार। मैंने कहा क्यों रुक गए ओ बरख़ुरदार, आगे बढ़ो बहुत सी सुहागिने है निर्जलाहार। ----------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

उसने निभाई ना मुझसे वफ़ा

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उसने निभाई ना मुझसे वफ़ा ---------------------------------------------- उसने निभाई ना मुझसे वफ़ा,  कुछ कहता हूँ तो हो जाती है ख़फा।  आज मिलूंगा उससे आख़िरी दफ़ा, अपने दिल से उसको कर दूंगा सफ़ा। ----------------- ----------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

तू सदा रहे खुशहाल

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तू सदा रहे खुशहाल -------------------------------' तू सदा रहे खुशहाल, यौवन बना रहे चिरकाल। ना रहे कभी तू तंगहाल, बीते सुख से जीवनकाल। ------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

लिखूंगा एक दिन इश्क़ पर किताब

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लिखूंगा एक दिन इश्क़ पर किताब --------------------------------------------- लिखूंगा एक दिन इश्क़ पर किताब,  जिसमें शायरियां होंगी लाजवाब। पढ़कर लोग हो जाएंगे बेताब,  अपने सनम को पाने के देखेंगे ख्व़ाब।  ---------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

बढ़ रही रावणों की जमात

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बढ़ रही रावणों की जमात ------------------------------------------------- बढ़ रही रावणों की जमात,  आए दिन करते रक्तपात। हमला करते लगाकर घात,  अपहरण करते हैं बलात्। एक दिन मिलेगी इनसे निजात, अंधेरे के बाद होता सुप्रभात। भू पर राम जन्मेंगे अकस्मात्,  विभीषण संग मिलकर करेंगे भस्मसात्। ------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल