शिवरात्रि

शिवरात्रि
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पिया जिन्होंने था गरल, 
भोले-भाले और सरल।
जो रहते कैलाश शिखर, 
खाली झोली देते भर।
हर जन का दु:ख लेते हर,
हे फणधर, हे जगदीश्वर।
कृपा करो, हे प्रभु महेश्वर,
जयकारों से गूंजे भू-अंबर।
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मनोज कुमार अनमोल

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