जल है तो कल है
जल है तो कल है
-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-
ये है भू का सत्य अटल,
जल होगा तो, होगा कल।
हिमगिरि से पिघल-पिघल,
नदियों में बहता कल-कल।
कितना मृदु, कितना शीतल,
पान करें हम जल निर्मल।
कृषक सींचते अपनी फसल,
तरु पीकर हमें देते फल।
मत बर्बाद करो, भूजल,
संग्रह करो, इसे भूतल।
-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-×-
मनोज कुमार अनमोल
रतापुर, रायबरेली
उत्तर प्रदेश
Comments
Post a Comment