जल है तो कल है

    जल है तो कल है
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ये है भू का सत्य अटल,
जल होगा तो, होगा कल। 
हिमगिरि से पिघल-पिघल,
नदियों में बहता कल-कल।
कितना मृदु, कितना शीतल,
पान करें हम जल निर्मल।
कृषक सींचते अपनी फसल,
तरु पीकर हमें देते फल।
मत बर्बाद करो, भूजल,
संग्रह करो, इसे भूतल।
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    मनोज कुमार अनमोल
       रतापुर, रायबरेली 
            उत्तर प्रदेश

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