तेरी चाहत का चटक रंग

तेरी चाहत का चटक रंग
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चढ़ा है तेरी चाहत का चटक रंग, 
प्रेम से भीगा है मेरा अंग-अंग।
पर अफ़सोस तू नहीं है मेरे संग,
तुझसे होता नहीं है मेरा मोह भंग।
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मनोज कुमार अनमोल

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