हाँ मैं औरत हूँ
हाँ मैं औरत हूँ
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कर्म पथ पर रत हूँ,
हाँ मैं औरत हूँ।
वात्सल्य लुटाती हूँ,
प्रेम बरसाती हूँ,
पत्नी और बहन बनकर,
दायित्व निभाती हूँ।
ममता की मूरत हूँ,
सृष्टि की जरूरत हूँ।
विधाता की कृति खूबसूरत हूँ,
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मनोज कुमार अनमोल
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