क्या तुम्हें कभी आता है मेरा ख़्याल?
क्या तुम्हें कभी आता है मेरा ख़्याल?
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कभी मिलो तो जुबां पर रहेगा एक ही सवाल,
क्या तुम्हें कभी आता है मेरा ख़्याल?
क्या ज़िन्दगी है तुम्हारी खुशहाल?
या मेरी तरह भी है तुम्हारी बदहाल।
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मनोज कुमार अनमोल
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