जो मुझे लगते थे नायाब

जो मुझे लगते थे नायाब
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जो मुझे लगते थे नायाब,
दिल था जिसके लिए बेताब।
रात-दिन जिसके देखता था ख़्वाब,
पिलाया उन्होंने मुझे पानी में तेजाब।
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मनोज कुमार अनमोल 

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