मेरा गाँव --------------------------------------------- कितना सुन्दर मेरा गाँव..... पीपल, बरगद की जहाँ मिलती छाँव, ताल-तलैया में चलती नाव, नीम डाल पर कौवा बोले कांव-कांव, कितना सुंदर मेरा गाँव..... जहां प्रेम का नहीं अभाव। सब जन रहते हैं सद्भाव। बढ़िया है उनका बरताव। कितना सुंदर मेरा गाँव..... नहीं किसी पर कोई दबाव कृषि करते हैं सब बड़े चाव, चेहरे पर ना दिखता तनाव, कितना सुंदर मेरा गाँव..... जाड़े में जहाँ जले अलाव, गर्मी में बागों में पड़े पड़ाव, ऊँच नीच का नहीं भेदभाव, कितना सुंदर मेरा गाँव..... ------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल