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Showing posts from September, 2025

जो मुझे लगते थे नायाब

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जो मुझे लगते थे नायाब -------------------------------------------- जो मुझे लगते थे नायाब, दिल था जिसके लिए बेताब। रात-दिन जिसके देखता था ख़्वाब, पिलाया उन्होंने मुझे पानी में तेजाब। -------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

आज लिखूंगा उस पर गीत...

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आज लिखूंगा उस पर गीत... -------------------------------------------- गुजर गया जो मेरा अतीत, आज लिखूंगा उस पर गीत... कौन-कौन थे मेरे मीत? किससे थी मेरी प्रीत? किससे हारा, किससे जीत? दु:ख के दिन कैसे हुए व्यतीत? कौन कार्य लगते थे पुनीत?  क्या सोच के होता था मन भयभीत? आज लिखूंगा उस पर गीत... --------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

स्वप्न होते हैं वहीं साकार

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स्वप्न होते हैं वहीं साकार --------------------------------------------- स्वप्न होते हैं वहीं साकार, प्रयास हो जिसके लिए धुआँधार। अड़चनें तो राह में आएंगी हजार, पर पग बढ़ाते रहना मत मानना हार। --------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

निकली वो बेवफ़ा मेरे घर की राह से

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निकली वो बेवफ़ा मेरे घर की राह से --------------------------------------------------- निकली वो बेवफ़ा मेरे घर की राह से,  जानना चाहती थी कैसा हूँ? ताक झाँक से। जला हूँ कि नहीं उसकी विरह की आग से, मोहभंग हुआ है कि नहीं उसकी चाह से। --------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल 

अश्क के मोती, ना गिराओ याद में

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अश्क के मोती, ना गिराओ याद में ------------------------------------------------ अश्क के मोती, ना गिराओ याद में, रोक लो, ना बहने दो उन्माद में। बेवफ़ा लोग हैं, जग में बड़ी तादाद में, तड़प कर मरने को, छोड़ देते विषाद में। ------------------------------------------------ मनोज कुमार अनमोल