शायरी
शायरी --------------------------------------------------- जब से तुम गिरगिट की तरह रंग बदल गई, जिंदगी काँच की तरह टूट कर बिखर गई। खुशियाँ मेरी छीन कर तुम किधर ले गई? झूठे ख़्वाब दिखा कर क्यों अदृश्य हो गई? --------------------------------------------------- मनोज कुमार अनमोल